जगाच्या कानाकोपऱ्यात भटकताना मातृभूमीचे बंध जपण्याचा अन् मनाच्या विविधरंगी, बहुअंगी स्पंदनाना व्यक्त करण्याचा एक छोटासा प्रयत्न! वाचण्याचा छंद जोपासताना बरचसं वाड्मय वेगवेगळ्या ठिकाणांहून संग्रहीत केलेलं आहे.
गुरुवार, १ डिसेंबर, २०११
सोमवार, ३१ ऑक्टोबर, २०११
Phir Mohabbat - फिर मोहब्बत - Murder 2
जब जब तेरे पास मैं आया इक सुकून मिला
जिसे मैं था भूलता आया वो वजूद मिला
जब आए मौसम गम के तुझे याद किया
जब सहमे तन्हापन से तुझे याद किया
दिल संभल जा ज़रा फिर मोहब्बत करने चला है तू
दिल यहीं रुक जा ज़रा फिर मोहब्बत करने चला है तू
ऐसा क्यूँ कर हुआ जानू ना मैं जानू ना
दिल संभल जा ज़रा फिर मोहब्बत करने चला है तू
दिल यहीं रुक जा ज़रा फिर मोहब्बत करने चला है तू
जिस राह पे है घर तेरा अक्सर वहाँ से हाँ मैं हूँ गुज़रा
शायद यही दिल में रहा तू मुझको मिल जाए क्या पता
क्या है यह सिलसिला जानू ना मैं जानू ना
दिल संभल जा ज़रा फिर मोहब्बत करने चला है तू
दिल यहीं रुक जा ज़रा फिर मोहब्बत करने चला है तू
कुछ भी नही जब दरमियाँ फिर क्यूँ है दिल तेरे ही ख्वाब बुनता
चाहा की दे तुझको भुला पर यह भी मुमकिन हो ना सका
क्या है यह मामला जानू ना मैं जानू ना
दिल संभल जा ज़रा फिर मोहब्बत करने चला है तू
दिल यहीं रुक जा ज़रा फिर मोहब्बत करने चला है तूदिल संभल जा ज़रा फिर मोहब्बत करने चला है तू
जिसे मैं था भूलता आया वो वजूद मिला
जब आए मौसम गम के तुझे याद किया
जब सहमे तन्हापन से तुझे याद किया
दिल संभल जा ज़रा फिर मोहब्बत करने चला है तू
दिल यहीं रुक जा ज़रा फिर मोहब्बत करने चला है तू
ऐसा क्यूँ कर हुआ जानू ना मैं जानू ना
दिल संभल जा ज़रा फिर मोहब्बत करने चला है तू
दिल यहीं रुक जा ज़रा फिर मोहब्बत करने चला है तू
जिस राह पे है घर तेरा अक्सर वहाँ से हाँ मैं हूँ गुज़रा
शायद यही दिल में रहा तू मुझको मिल जाए क्या पता
क्या है यह सिलसिला जानू ना मैं जानू ना
दिल संभल जा ज़रा फिर मोहब्बत करने चला है तू
दिल यहीं रुक जा ज़रा फिर मोहब्बत करने चला है तू
कुछ भी नही जब दरमियाँ फिर क्यूँ है दिल तेरे ही ख्वाब बुनता
चाहा की दे तुझको भुला पर यह भी मुमकिन हो ना सका
क्या है यह मामला जानू ना मैं जानू ना
दिल संभल जा ज़रा फिर मोहब्बत करने चला है तू
दिल यहीं रुक जा ज़रा फिर मोहब्बत करने चला है तूदिल संभल जा ज़रा फिर मोहब्बत करने चला है तू
शुक्रवार, २१ ऑक्टोबर, २०११
महाभारत से...
वचन दिया सोचा नही
होगा क्या परिणाम
सोच समझकर किजीये
जीवन में हर काम |
जन्मभोगी नहीं, कर्मयोगी होना चाहिये |
आस कह रही है श्वास से
धीरज धरना सिख
मांगे बिन मिले मोती
मांगे मिले ना भीख |
शत्रू को मिटाने से शत्रुता नष्ट नहीं होती है! मित्रता ही सुखी जीवन की आधारशिला बन जाती है |
सत्य कभी विवश नही करता - अगर आप इच्छाकांशी नही हो |
होगा क्या परिणाम
सोच समझकर किजीये
जीवन में हर काम |
जन्मभोगी नहीं, कर्मयोगी होना चाहिये |
आस कह रही है श्वास से
धीरज धरना सिख
मांगे बिन मिले मोती
मांगे मिले ना भीख |
शत्रू को मिटाने से शत्रुता नष्ट नहीं होती है! मित्रता ही सुखी जीवन की आधारशिला बन जाती है |
सत्य कभी विवश नही करता - अगर आप इच्छाकांशी नही हो |
बुधवार, १९ ऑक्टोबर, २०११
गुरुवार, १३ ऑक्टोबर, २०११
You are Valuable
A well known speaker started off his seminar by holding up a Rupee 500 bill. In the room of 200 people, he asked, "Who would like this Rupee 500 bill?"
Hands started going up. He said, "I am going to give this Rupee 500 to one of you but first, let me do this." He proceeded to crumple the dollar bill up. He then asked, "Who still wants it?" Still the hands were up in the air.
"Well," he replied, "What if I do this?" And he dropped it on the ground and started to grind it into the floor with his shoe. He picked it up, now crumpled and dirty. "Now who still wants it?"
Still the hands went into the air.
"My friends, you have all learned a very valuable lesson. No matter what I did to the money, you still wanted it because it did not decrease in value. It was still worth Rupee 500.
Many times in our lives, we are dropped, crumpled, and ground into the dirt by the decisions we make and the circumstances that come our way. We feel as though we are worthless.
But no matter what has happened or what will happen, you will never lose your value: dirty or clean, crumpled or finely creased, you are still priceless to those who love you. The worth of our lives come not in what we do or who we know, but by WHO WE ARE.
You are special - Don't ever forget it. "
Never let yesterday’s dissapointments overshadow tomorrow’s Dreams.
Source- Unknown
मंगळवार, ४ ऑक्टोबर, २०११
सोमवार, १२ सप्टेंबर, २०११
अद्यापही सु-याला- सुरेश भट
अद्यापही सु-याला माझा सराव नाही
अद्यापही पुरेसा हा खोल घाव नाही
येथे पिसून माझे काळीज बैसलो मी
आता भल्याभल्यांच्या हातात डाव नाही
जी काल पेटली ती वस्ती मुजोर होती
गावात सज्जनांच्या आता उठाव नाही
गर्दीत गारद्यांच्या सामील रामशास्त्री
मेल्याविना मध्याला आता उपाव नाही
उच्चारणार नाही कोणीच शापवाणी
तैसा ऋषीमुनींचा लेखी ठराव नाही
साध्याच माणसांचा एल्गार येत आहे
हा थोर गान्दुलांचा भोंदू जमाव नाही
ओठी तुझ्या न आले अद्याप नाव माझे
अन ओठ शोधण्याचा माझा स्वभाव नाही
- गझलसम्राट सुरेश भट
लेबल:
सुरेश भट,
Marathi Gazal
दुभंगून जाता जाता- सुरेश भट
दुभंगून जाता जाता मी अभंग झालो !
चिराचिरा जुळला माझा, आत दंग झालो !
सल जुनेच सलता सलता सुखावून गेले !
अन् हळूच गुणगुणती हे वळ न मोजलेले !
कशी कथा सरता सरता पूर्वरंग झालो !
दुभंगून जाता जाता मी अभंग झालो
किरण एक धरुनी हाती मी पुढे निघालो !
अन् असाच वणवणताना मी मला मिळालो !
सर्व संग सुटले; माझा मीच संग झालो !
दुभंगून जाता जाता मी अभंग झालो
ज्ञानदेव लिहुनी गेले ओळओळ भाळी !
निमित्तास माझे गाणे, निमित्तास टाळी !
तरू काय ? इंद्रायणिचा मी तरंग झालो !
दुभंगून जाता जाता मी अभंग झालो
कुठे दिंड गेली त्यांची कळेना बिचारी !
मी इथेच केली माझी सोसण्यात वारी !
’पांडुरंग’ म्हणता म्हणता ’पांडुरंग’ झालो !
दुभंगून जाता जाता मी अभंग झालो
लेबल:
विनोद- Jokes,
Marathi Gazal
शुक्रवार, २६ ऑगस्ट, २०११
मुह की बात सुने हर कोई - निदा फाजली
मुह की बात सुने हर कोई, दिल के दर्द को जाने कौन
आवाजों के बाज़ारों में खामोशी पहचाने कौन
सदियों सदियों वही तमाशा, रास्ता रास्ता लम्बी खोज
लेकिन जब हम मिल जाते हैं, खो जाता है जाने कौन
वो मेरा आइना है या में उस की परछाई हूँ
मेरे ही घर में रहता है,मुझ जैसा ही जाने कौन
किरण किरण अलसाता सूरज, पलक पलक खुलती नींदें
धीमे धीमे पिघल रहा है, ज़र्रा-ज़र्रा जाने कौन
आवाजों के बाज़ारों में खामोशी पहचाने कौन
सदियों सदियों वही तमाशा, रास्ता रास्ता लम्बी खोज
लेकिन जब हम मिल जाते हैं, खो जाता है जाने कौन
वो मेरा आइना है या में उस की परछाई हूँ
मेरे ही घर में रहता है,मुझ जैसा ही जाने कौन
किरण किरण अलसाता सूरज, पलक पलक खुलती नींदें
धीमे धीमे पिघल रहा है, ज़र्रा-ज़र्रा जाने कौन
समजावुनी व्यथेला समजावता न आले - सुरेश भट
समजावुनी व्यथेला समजावता न आले !
मज दोन आसवांना हुलकावता न आले !
सर एक श्रावणाची आली … निघुन गेली…
माझ्या मुक्या ञुषेला पण बोलता न आले?
सुटला कधी न जो मी मज घातला उखाणा;
माझ्याच उत्तराला मज शोधता न आले!
चुकवुनही कसा हा चुकला न शब्द न माझा
देणे मलाच माझे नाकारता न आले !
लपवीत गीत माझे पळ काढला तरीही
ह्रुदयांतल्या विजांना झिडकारता न आले!
केले जरी खुलासे मीही नकोनकोसे,
जगणे अखरे माझे मज टाळता न आला!
लेबल:
सुरेश भट,
Marathi Gazal
सोमवार, ६ जून, २०११
बुधवार, ११ मे, २०११
बुधवार, ३० मार्च, २०११
ALCHEMIST- PAULO COELO 2
It was my fear of failure that first kept me from attempting the Master work.
When you are in love, things make even more sense.
If you pay attention to the present, you can improve upon it. And, if you improve on the present, what comes later will also be better. Forget about the future, and live each day according to teachings, confident that God loves his children. Each day, in itself, brings with it an eternity.
Whoever believes in dreams also knows how to interpret them.
Courage is the only quality most essential to understanding the Langauge of the World.
You must understand that love never keeps a man from pursuing his Personal Legend. If he abandons that pursuit, it is because it was not true love... the love that speaks the Language of the World.
One is loved because one is loved. No reason is needed for loving.
Do not think about what you have left behind.
Wherever your heart is, that is where you will fine your treasure.
Before a dream is realized, the Soul of the World tests everything that was learned along the way. It does this not because it is evil, but so that we can, in addition to realizing our dreams, master the lessons we have learned as we have moved toward that dream.
Every search begins with beginer`s luck. And every search ends with the victors being severely tested.
Darkest hour of the night came just before the dawn.
When you possess great treasures within you, and try to tell others of them, seldom are you believed.
Your eyes show the strength of your Soul.
It is not often that money saves a person`s life.
No matter what he does, every person on earth plays a central role in history of the world. And normally he does not know it.
रविवार, २७ मार्च, २०११
ALCHEMIST- PAULO COELO 1
Some lines-
It's the possibility of having a dream come true that makes life interesting.
Dreams are the language of God.
Everyone seems have a clear idea of how other people should lead their lives, but none about his or her own.
I see the world in terms of what I would like to see happen, not what actually does.
When you want something, all the universe conspires in helping you to achieve it.
Learn to recognize omens, and follow them.
There is no such thing as coincidence.
People need not fear the unknown if they are capable of achieving what they need and want.
When you can't go back, you have to worry only about the best way of moving forward.
Everyone has his or her own way of learning things. His way isn't same as mine, nor mine as his. But we're both in search of Personal Legends, and I respect him for that.
I don't live in either my past or my future. I'm interested only in my present. If you can concentrate always on the present, you will be a happy man. ...Life will be party for you, a grant festival, because life is the moment we're living right now.
(Upto 92 page)
लेबल:
काही कादंबऱ्यांचे सार
रविवार, २७ फेब्रुवारी, २०११
Sahaj yoga: Master key- Kavita Kanan Chandra, Feb 26, 2011 In:Times of India
Our ancient heritage is the repository of several techniques which come to our rescue in today's stressful world.
Sahaj Yoga is one of them. It finds mention in the discourses of Guru Nanak, Sankaracharya, Kabir and Sant Dyaneshwar. It is invaluable for one's mental, physical, psychological and spiritual well-being. Mata Nirmala Devi has popularised the technique in over 90 countries and has helped weary souls come to terms with stress and suffering.
Sahaj yoga is the kundalini, the divine energy, which lies below the sacrum at the bottom of the vertebral column, which when stimulated ascends through the sushumna nadi, the spine, and corresponds to the parasympathetic nervous system. There is a spontaneous awakening and the union of our primordial energy with the all-pervading power of the divine. The awakening of the kundalini allows divine energy to pass through the six chakras or energy centres which take care of the physical, mental, psychosomatic and spiritual aspects of the body.
In today's fast moving world we often overstretch ourselves to achieve our goals. Stress is its side effect and it adversely affects our body system. But Sahaj Yoga is an easy way to distress ourselves. It makes us experience love and compassion.
What does Sahaj Yoga mean? Saha means with us, ja means born and yoga is union. Sahaj Yoga is therefore spontaneous. Through it the residual divine energy, which resides in sacrum bone is awakened and energised. There are three nadis in our body, namely ida, the sympathetic nervous system on the left which controls our temperament; pingala, the sympathetic nervous system on the right which controls our physical and mental well-being; and sushumna nadi, the parasympathetic nervous system at the centre which has chakras to give us our qualitative attributes. If a person activates the chakras in this nadi, he would attain spiritual ascent and enjoy life to the fullest.
Sahaj Yoga considers six chakras, namely mooladhar chakra, swadhi sthan chakra, nabhi chakra, anahat chakra, shuddhi chakra, agnya (not a chakra) and sahasrura chakra. All these correspond to a particular place on hand and to a particular element of the universe. Each is attributed with special qualities.
The first chakra — Mooladhar Chakra — depicts the element earth and attributes qualities of innocence and wisdom. The swadhi sthan chakra represents the element fire and is responsible for creativity and divine knowledge. Nabhi chakra, representing water, gives us sustenance and dharma. Anahat chakra represents air and attributes the qualities of love, maryada, and fearlessness. It awakens the atma or soul. The shuddhi chakra representing the element ether is associated with divine diplomacy. It maintains integration between mind and speech. Speech is important and a proper coordination between thought and speech assures better communication. Agnya is for forgiveness and resurrection, representing the element light.
If we are tense we cannot utilise the full potential of mind. Tension and anger have to be controlled. If this area of the spine is awakened, one can control one's anger. The last chakra is the sahasrura chakra and represents all the five elements of the universe. Its place is the centre of the palm. This chakra attributes the qualities of collective consciousness and integration.
Sahaj yoga is a master key to solving the problems of the mind and the body. One has to learn to awaken one's kundalini to experience happiness and enjoy the fruits of Sahaj yoga.
लेबल:
लेख - माहितीपूर्ण असे...
गुरुवार, २४ फेब्रुवारी, २०११
पु. ल. देशपांडे Joke
एक मेत्रीण नुकतीच बाजारात जाऊन आली होती व अगदी रंगात येऊन मला सागंत होती, काय सुदंर सुदंर कोल्हापुरी साज आहेत गं इथल्या बाजारात., अप्रतीम नमुने आणि सूदंर कलाकुसर, अनं भरगच्च तर इतके की एक साज घातला गळ्यात की दुसंर काहीच घालायला नको.' हे ऎकत जवळपास असलेले भाई मीश्कीलपणे हळुच म्हणाले, 'खरं सागंतेस की काय?' क्षणभराने त्यातली खोच लक्षात आल्यावर ऎत्रिणीचीं लाजुन व आमची हसुन मुरकुंडी वळली.
बुधवार, २३ फेब्रुवारी, २०११
सुविचार -By Unknown
सुविचार ही माणसाच्या आयुष्यातली सगळ्यात मोठी शक्ती आहे.
ज्या माणसांकडे विचारांचा भक्कम पाया नाही त्या माणसांच्या आयुष्याची इमारत
उभीच राहू शकत नाही. आणि यदाकदाचित समजा, ती उभी राहिलीच तरी ती भक्कम असेलच
असं आपण ठामपणे म्हणू शकत नाही.
जीवनात, सुखाचे, दु:खाचे, यशाचे, अपयशाचे, आशेचे, निराशेचे असे अनेक प्रसंग
येतात. पण विचारांचा भक्कम पाया असणारी माणसं कुठल्याही प्रसंगी ठामपणे उभी
राहतात.
आपल्या भौतिक गरजा मर्यादीत ठेवून ध्येयपूर्तीसाठी धडपडणं अयोग्य नाही. पण असं
धडपडूनही अपेक्षित यश लाभलं नाही तर नियती देईल ते आनंदान स्विकारता यायला हवं.
आयुष्यात कुटुंब, कामाचं ठिकाण, नातेवाईक, समाज अशा अनेक ठिकाणी संकटं येतात.
संकटं टाळता येणं शक्य नाही, पण...
पण, दु:ख टाळता येणं शक्य आहे. एखाद्या घटनेकडे पाहण्याची आपली दृष्टी बदलता
येते आणि तीच ताकद विचारांमध्ये असते.
कारण कोणत्याही कृतीच्या मुळाशी एक माणूस म्हणूश यशस्वी जीवन जगू पाहणाऱ्या
प्रत्येकाने हे वाचायला हवं... नव्हे, अगदी १००% आचरणात आणायला हवं !
ज्या माणसांकडे विचारांचा भक्कम पाया नाही त्या माणसांच्या आयुष्याची इमारत
उभीच राहू शकत नाही. आणि यदाकदाचित समजा, ती उभी राहिलीच तरी ती भक्कम असेलच
असं आपण ठामपणे म्हणू शकत नाही.
जीवनात, सुखाचे, दु:खाचे, यशाचे, अपयशाचे, आशेचे, निराशेचे असे अनेक प्रसंग
येतात. पण विचारांचा भक्कम पाया असणारी माणसं कुठल्याही प्रसंगी ठामपणे उभी
राहतात.
आपल्या भौतिक गरजा मर्यादीत ठेवून ध्येयपूर्तीसाठी धडपडणं अयोग्य नाही. पण असं
धडपडूनही अपेक्षित यश लाभलं नाही तर नियती देईल ते आनंदान स्विकारता यायला हवं.
आयुष्यात कुटुंब, कामाचं ठिकाण, नातेवाईक, समाज अशा अनेक ठिकाणी संकटं येतात.
संकटं टाळता येणं शक्य नाही, पण...
पण, दु:ख टाळता येणं शक्य आहे. एखाद्या घटनेकडे पाहण्याची आपली दृष्टी बदलता
येते आणि तीच ताकद विचारांमध्ये असते.
कारण कोणत्याही कृतीच्या मुळाशी एक माणूस म्हणूश यशस्वी जीवन जगू पाहणाऱ्या
प्रत्येकाने हे वाचायला हवं... नव्हे, अगदी १००% आचरणात आणायला हवं !
बुधवार, ९ फेब्रुवारी, २०११
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