शुक्रवार, २१ ऑक्टोबर, २०११

महाभारत से...

वचन दिया सोचा नही
होगा क्या परिणाम
सोच समझकर किजीये
जीवन में हर काम |

जन्मभोगी नहीं, कर्मयोगी होना चाहिये |

आस कह रही है श्वास से
धीरज धरना सिख
मांगे बिन मिले मोती
मांगे मिले ना भीख |

शत्रू को मिटाने से शत्रुता नष्ट नहीं होती है! मित्रता ही सुखी जीवन की आधारशिला बन जाती है |

सत्य कभी विवश नही करता - अगर आप इच्छाकांशी नही हो |


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