जगाच्या कानाकोपऱ्यात भटकताना मातृभूमीचे बंध जपण्याचा अन् मनाच्या विविधरंगी, बहुअंगी स्पंदनाना व्यक्त करण्याचा एक छोटासा प्रयत्न! वाचण्याचा छंद जोपासताना बरचसं वाड्मय वेगवेगळ्या ठिकाणांहून संग्रहीत केलेलं आहे.
गुरुवार, २८ ऑक्टोबर, २०१०
रामायण, महाभारत के राजा और आज का समाज
रामायण और महाभारत में राजा के लिये प्रजा से अधिक महत्वपूर्ण कुछ नही होता था! राजा केवल राजा होता था और सारी प्रजा ही उसका परिवार होती थी! राजा को हर निर्णय लेने से पहले प्रजा के हित में सोचना उसका प्रथम कर्तव्य होता था! आज हमारे जीवन में भी इससे हमे आज भी कुछ सिखने को मिलता है! हर व्यक्ती को जीवन में कोई निर्णय लेते समय कम से कम उसके अपनों पर होनेवाले परिणाम का पुरा ध्यान रखना चाहिये!
याची सदस्यत्व घ्या:
टिप्पणी पोस्ट करा (Atom)
कोणत्याही टिप्पण्या नाहीत:
टिप्पणी पोस्ट करा