हमको खुशहाली में याराने अच्छे लगे,
जब जरा हालात बदले फासले अच्छे लगे,
यु ब जाहिर सब खफा थे उसकी हरकत पर,
पर जिस्म की उरयांनियो के जाविये अच्छे लगे,
बेशुमार आंखे कभी हम पे भी मंडराती रही,
उन दिनो की बात हैं जब आईने अच्छे लगे,
ये गझल युही अचानक चलते फिरते हो गयी,
सिर्फ मंजिल खलिल अच्छी लगी ऐसा नही,
हमसफर अच्छे मिले तो रास्ते अच्छे लगे...- Unknown.
मंजिल मूझे मिले या ना मिले
इसका गम नहीं,
मंजिल की जुस्तजू में
मेरा कारवां तो हैं - Unknown.
उनको देखने से चेहरे पे
आ जाती है रौनक,
वह समझते हैं
बिमार का हाल अच्छा है - Unknown.
अब हम समझे हमदर्दी का कडुवा है अंजाम बहुत
चलते फिरते लग जाते है यु दिलपर इल्जाम बहुत - साद अमरोही.
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