बुधवार, २६ सप्टेंबर, २०१२

मालवून टाक दीप, चेतवून अंग अंग- कविवर्य सुरेश भट


मालवून टाक दीप, चेतवून अंग अंग
राजसा किती दिसात, लाभला निवांत संग

त्या तिथे फुलाफुलात, पेंगते अजून रात
हाय तू करु नकोस, एवढयात स्वप्न भंग

दूर दूर तारकांत, बैसली पहाट न्हात 
सावकाश घे टिपून एक एक रुपरंग

गार गार या हवेत घेऊनी मला कवेत
मोकळे करुन टाक एकवार अंतरंग

ते तुला कसे कळेल, कोण एकटे जळेल
सांग का कधी खरेच, एकटा जळे पतंग

काय हा तुझाच श्वास, दरवळे इथे सुवास
बोल रे हळू उठेल, चांदण्यावरी तरंग
Malavun Taak Deep - Lata Mangeshkar - YouTube

रविवार, २३ सप्टेंबर, २०१२

Gulshan Ki Faqat Phoolon Se Nahi- Jagjit Singh

गुलशन कि फ़क़त फूलों से नहीं काटों से भी जीनत होती है,
जीने के लिए इस दुनिया में ग़म कि भी ज़रूरत होती है.
 वाइज़--नादां करता है तू एक क़यामत का चर्चा,
यहाँ रोज़ निगाहें मिलती हैं यहाँ रोज़ क़यामत होती है.
वो पुर्सिश--ग़म को आये हैं कुछ कह ना सकूं चुप रह ना सकूं,
खामोश रहूँ तो मुश्किल है कह दूं तो शिक़ायत होती है.
करना ही पड़ेगा जब्त--अलम पीने ही पड़ेंगे ये आंसू,
फरियाद--फुगाँ से एय नादाँ तौहीन--मोहब्बत होती है.
जो आके रुके दामन पे ‘सबा‘ वो अश्क नहीं है पानी है,
जो अश्क ना छलके आंखों से उस अश्क कि कीमत होती है.

Dost Ban Ban Ke Mile- Jagjit Singh

dost ban-banke mile muJhko mitaane waale
maine dekhe haiN kaI rang badalane waale

tumne chup rehkar sitam aur bhee Dhaayaa mujhpar
tumse achchhe haiN mere haal pe haNsne waale

maiN to ikhalAq ke hathoN hi bikA kartaa hooN
aur hoNge tere baazAr meiN bikne waale

akhree daur pe salaam-e-dil-e-mustar le lo
phir naa lauTenge shab-e-hiJr pe ronewaale